सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैटों में सेल एरिया में वृद्धि के कारण बिक्री अनुबंध से परे अतिरिक्त धन की बिल्डरों की मांग को अवैध करार दिया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के फैसले के खिलाफ बिल्डर की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बिल्डर ने एक अनुबंध प्रवधान का हवाला देते हुए कहा कि यदि बिक्री क्षेत्र 10 फीसदी तक बढ़ जाता है तो उसका पैसा अलग से देना होगा।शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी अपील बिल्डर ने इस फैसले के खिलाफ अपील की, लेकिन शीर्ष अदालत ने यह अपील खारिज कर दी। अतिरिक्त क्षेत्र के संबंध में शिकायतकर्ता ने कहा कि बिना किसी आधार के बिल्डर पक्ष ने अतिरिक्त बिक्री क्षेत्र की मांग भेजी और बाद की तारीख का आर्किटेक्ट का प्रमाणपत्र बॉयर को भेजा। बिल्डर ने कहा कि आर्किटेक्ट की रिपोर्ट के आधार पर अतिरिक्त क्षेत्र के लिए मांग की गई थी।यह भी पढ़ें: शतक के करीब पहुंचा पेट्रोल, जानें आज अपने शहर का रेटआयोग ने कहा कि देखने में आया है कि एक बार मूल योजना मंजूर कर दिए जाने के बाद आवासीय इकाई के क्षेत्रों के साथ-साथ आम स्थानों और आम इमारतों को निर्दिष्ट किया जाता है। सुपर एरिया तब तक नहीं बदल सकता, जब तक कि फ्लैट के क्षेत्र में कोई परिवर्तन न हो या किसी भी सामान्य इमारत के क्षेत्र में या परियोजना के कुल क्षेत्र (भूखंड क्षेत्र) को बदला गया हो।अनुचित व्यापार व्यवहार यह ज्यादातर बिल्डरों / डेवलपर्स द्वारा अपनाया जाने वाला एक सामान्य व्यवहार है, जो मूल रूप से एक अनुचित व्यापार व्यवहार है। यह उस समय आवंटियों से अतिरिक्त धन निकालने का साधन बन गया है, जब आवंटियों की परियोजना पर्याप्त राशि परियोजना में फंस जाती है और वो उसे छोड़ नहीं पाता। आयोग ने कहा कि कोई भी ऐसी प्रणाली नहीं है, जब मंजूरीशुदा योजना के अंतिम चरण में अतिरिक्त सुपरक्षेत्र के संबंध में किसी प्रकार का प्रमाण पत्र जारी करे।
Builder cannot make additional recovery in the name of increasing area
