CTN PRESS

CTN PRESS

NEWS & BLOGS EXCLUCIVELY FOR INFORMATION TO ENGINEERS & VALUERS COMMUNITY

Coronavirus Tale Of Unknown Dead Bodies Floating In Rivers From Uttar Pradesh To Bihar Not Getting Respectful Cremation Read Full Ground Report – अमर उजाला ग्राउंड रिपोर्ट : कहीं नदी के बीच रेत में तो कहीं गंगा किनारे दबाई जा रहीं लाशें, कुत्ते नोच रहे शव

सार

यूपी के उन्नाव गाजीपुर से लेकर बिहार के बक्सर तक ये लाशें नदी में बहती देखी जा रही हैं। हमारी इस ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़ें इन लावारिस लाशों की कहानी जिन्हें मरने के बाद भी एक अदद मुकाम हासिल नहीं हो पा रहा है और इन्हें या तो दफनाया जा रहा है या फिर जैसे-तैसे इनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है और जो बच जा रहे हैं उन्हें कुत्ते नोच-नोच कर खा रहे हैं……

नदी के किनारे बहकर आए शव या तो रेत में दफनाए गए या उनका अंतिम संस्कार किया गया
– फोटो : अमर उजाला

ख़बर सुनें

पंचायत चुनाव खत्म होने के बाद से उत्तर प्रदेश में कोरोना गांव-गांव जा पहुंचा है। कोरोना की विभीषिका का आलम है कि इन दिनों यूपी के कई जिलों में श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए रेला लगा हुआ है। एक ओर जहां घाटों की क्षमता से ज्यादा अंतिम संस्कार हो रहे हैं वहीं बहुत से लोग तो कोरोना संक्रमित शवों को नदी में बहा दे रहे हैं। इसी के चलते उत्तर प्रदेश के कई जिलों में नदी के किनारे शव बहता देखा गया, वहीं कई जगह पर शवों को रेत के अंदर भी दबाया जा रहा है। हालांकि इन सबके बीच जो बात सबसे चिंताजनक है वो ये कि इससे उन लोगों का जीवन इस समय बड़े संकट में हैं जो इन इलाकों में रहते हैं और शवों की दुर्गंध और कोरोना संक्रमण फैलने के डर के बीच जी रहे हैं। यूपी के उन्नाव गाजीपुर से लेकर बिहार के बक्सर तक ये लाशें नदी में बहती देखी जा रही हैं। हमारी इस ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़ें इन लावारिस लाशों की कहानी जिन्हें मरने के बाद भी एक अदद मुकाम हासिल नहीं हो पा रहा है और इन्हें या तो दफनाया जा रहा है या फिर जैसे-तैसे इनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है और जो बच जा रहे हैं उन्हें कुत्ते नोच-नोच कर खा रहे हैं……

गाजीपुर में दिनभर चला गंगा किनारे मिले शवों को दफनाने का काम

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में गंगा किनारे मिले शवों को दफनाने का काम सोमवार देर रात से मंगलवार दिन भर चला। शवों की संख्या अधिक होने पर गड्ढा खोदने के लिए जेसीबी एवं पोकलेन की मदद लेनी पड़ी। कितने लोगों को दफनाया गया इस बाबत प्रशासन कोई आंकड़ा नहीं बता रहा था। सिर्फ एक-दो शवों के मिलने व ससम्मान अंत्येष्टि की बात पर जोर दिया जाता। दफनाए गए शवों का न तो पोस्टमार्टम कराया गया और न ही स्वैब लिया गया। उधर, बक्सर में 71 शवों को गंगा किनारे दफना दिया गया। बक्सर प्रशासन का दावा है कि ये शव पड़ोसी प्रांत से बह कर आए थे। गंगा में महाजाल लगाया गया है साथ ही चौकसी बढ़ा दी गई है।

करंडा थाना क्षेत्र के धरम्मपुर गंगा के किनारे लगे शवों की संख्या अधिक होने खुदाई के लिए दोपहर में पोकलेन बुलानी पड़ी। इस दौरान लोगों को उधर जाने से रोक दिया गया था। इसी तरह सेवराई तहसील के नरवा घाट, सोझवा घाट, पंचमुखी घाट और बुलाकिया दास मठिया घाट के शवों को सोमवार देर रात से लेकर सुबह आठ बजे तक दर्जनों कर्मचारियों, ग्रामीणों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से किनारे ही गड्ढा खोदकर दफना दिया गया। इसके बावजूद गंगा के कटान वाले क्षेत्रों में शव दिखाई पड़े। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

कोरोना से हो रही मौतों से इन दिनों उन्नाव में बीघापुर तहसील के बक्सर घाट पर अंतिम संस्कार के लिए रेला लगा है। संक्रमण के डर से पंडा, दाह संस्कार कराने से बच रहे हैं। अधिकांश शवों को रेत में दबाया जा रहा है। घाट पर जगह कम पड़ी तो नदी के बीच रेत के टीले पर अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इससे क्षेत्र में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। आसपास बस्ती और गांवों में रहने वाले लोग डरे हुए हैं। बीघापुर तहसील के बक्सर घाट पर उन्नाव जिले के अलावा पड़ोसी जिला रायबरेली और फतेहपुर जिले से भी लोग शवों का अंतिम संस्कार करने इसी घाट पर पहुंचते हैं। इस समय प्रतिदिन 90 से 120 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। एक दूसरे पर दफनाए गए शवों को कुत्ते खींचकर इधर उधर फैला रहे हैं। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

गाजीपुर की तरह बलिया में भी गंगा किनारे मिले शव

बिहार के बक्सर जैसा मामला उत्तर प्रदेश के बलिया और  गाजीपुर में भी देखने को मिला है। बलिया में कोरोना संक्रमण के बीच गंगा किनारे विभिन्न स्थानों पर कई शवों को देख हड़कंप मच गया। संक्रमण फैलने की आशंका भी जताते रहे। बताया जाता है कि गंगा किनारे कोटवा नारायणपुर से लेकर मांझी घाट तक कमोबेश यही स्थिति है। मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने भरौली व उजियार घाट पर  कुल 17 शवों को दफनाया।

इसके अलावा जयप्रकाश नगर क्षेत्र के मांझी घाट के पास भी मंगलवार को दो शवों को देखा गया। अमर उजाला में खबर प्रकाशित होने के बाद मंगलवार को प्रशासन पूरी तरह हरकत में आया। मामले में बलिया डीएम अदिति सिंह ने कहा कि थाना नरही क्षेत्र अंतर्गत बलिया-बक्सर पुल के नीचे गंगा नदी के तट पर सोमवार की शाम को कुछ दिन पुराने क्षत-विक्षत अज्ञात शव मिलने की सूचना मिली।

बक्सर के चौसा के समीप  गंगा में  मिले 71 शवों को गंगा किनारे गड्ढा खोद कर दफना दिया गया। शव सड़ गए थे, इसलिए उनका पोस्टमार्टम नहीं हो सका। लेकिन, उनके स्वैब का नमूना लिया गया। जिससे कोविड टेस्ट व आवश्यकता पड़ने पर डीएनए की जांच हो सके। यह कार्रवाई सोमवार देर रात तक चली। इस दौरान डीएम अमन समीर व एसपी नीरज कुमार सिंह मौजूद रहे। वहां से लौटे अधिकारियों ने बताया हमारी टीम ने चौसा के पास गंगा में निगरानी बढ़ा दी है। वहीं जिला प्रशासन ने कुछ तस्वीरें और एक वीडियो जारी कर दावा किया है शव यूपी की तरफ से हमारी सीमा में आ रहे हैं। इसकी रोकथाम के लिए चौसा रानी घाट के पास मंगलवार को महाजाल लगाया गया।

चौसा के अंचल अधिकारी नवलकांत एवं मुफस्सिल पुलिस की देखरेख में यह कार्य संपन्न हुआ। हालांकि इतना सब कुछ होने के बावजूद भी चौसा बाजार घाट व हादिपुर गांव के समीप तीन-चार शव देखे गए हैं। वहीं डीएम अमन समीर ने कहा चौसा में अधिकारियों की तैनाती कर दी गई है। वहां फिलहाल किसी को शव प्रवाहित करने की अनुमति नहीं होगी।

विस्तार

पंचायत चुनाव खत्म होने के बाद से उत्तर प्रदेश में कोरोना गांव-गांव जा पहुंचा है। कोरोना की विभीषिका का आलम है कि इन दिनों यूपी के कई जिलों में श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए रेला लगा हुआ है। एक ओर जहां घाटों की क्षमता से ज्यादा अंतिम संस्कार हो रहे हैं वहीं बहुत से लोग तो कोरोना संक्रमित शवों को नदी में बहा दे रहे हैं। इसी के चलते उत्तर प्रदेश के कई जिलों में नदी के किनारे शव बहता देखा गया, वहीं कई जगह पर शवों को रेत के अंदर भी दबाया जा रहा है। हालांकि इन सबके बीच जो बात सबसे चिंताजनक है वो ये कि इससे उन लोगों का जीवन इस समय बड़े संकट में हैं जो इन इलाकों में रहते हैं और शवों की दुर्गंध और कोरोना संक्रमण फैलने के डर के बीच जी रहे हैं। यूपी के उन्नाव गाजीपुर से लेकर बिहार के बक्सर तक ये लाशें नदी में बहती देखी जा रही हैं। हमारी इस ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़ें इन लावारिस लाशों की कहानी जिन्हें मरने के बाद भी एक अदद मुकाम हासिल नहीं हो पा रहा है और इन्हें या तो दफनाया जा रहा है या फिर जैसे-तैसे इनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है और जो बच जा रहे हैं उन्हें कुत्ते नोच-नोच कर खा रहे हैं……

गाजीपुर में दिनभर चला गंगा किनारे मिले शवों को दफनाने का काम

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में गंगा किनारे मिले शवों को दफनाने का काम सोमवार देर रात से मंगलवार दिन भर चला। शवों की संख्या अधिक होने पर गड्ढा खोदने के लिए जेसीबी एवं पोकलेन की मदद लेनी पड़ी। कितने लोगों को दफनाया गया इस बाबत प्रशासन कोई आंकड़ा नहीं बता रहा था। सिर्फ एक-दो शवों के मिलने व ससम्मान अंत्येष्टि की बात पर जोर दिया जाता। दफनाए गए शवों का न तो पोस्टमार्टम कराया गया और न ही स्वैब लिया गया। उधर, बक्सर में 71 शवों को गंगा किनारे दफना दिया गया। बक्सर प्रशासन का दावा है कि ये शव पड़ोसी प्रांत से बह कर आए थे। गंगा में महाजाल लगाया गया है साथ ही चौकसी बढ़ा दी गई है।

करंडा थाना क्षेत्र के धरम्मपुर गंगा के किनारे लगे शवों की संख्या अधिक होने खुदाई के लिए दोपहर में पोकलेन बुलानी पड़ी। इस दौरान लोगों को उधर जाने से रोक दिया गया था। इसी तरह सेवराई तहसील के नरवा घाट, सोझवा घाट, पंचमुखी घाट और बुलाकिया दास मठिया घाट के शवों को सोमवार देर रात से लेकर सुबह आठ बजे तक दर्जनों कर्मचारियों, ग्रामीणों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से किनारे ही गड्ढा खोदकर दफना दिया गया। इसके बावजूद गंगा के कटान वाले क्षेत्रों में शव दिखाई पड़े। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

आगे पढ़ें

कानपुरः शवों को घसीट कर ले जा रहे कुत्ते…

Source link

error: Content is protected !!
Scroll to Top