नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ऐलान, बोर्ड परीक्षाएं दो हिस्सों में, UGC/AICTE समाप्त, एचआरडी अब शिक्षा मंत्रालय
नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले 34 सालों से चली आ रही शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। अब मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
– नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना होगी जिससे रिसर्च और इन्नोवेशन को मिलेगा बढ़वा
आपको बता दें कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया है।यदि अब आप सोच रहे हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है? तो यह समझ लें कि यह सच है। दरअसल, केंद्र सरकार ने स्कूली शिक्षा मतलब कि प्री-नर्सरी से लेकर 12वीं तक में बड़ा बदलाव किया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने द्वारा आज नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दिये जाने के बाद शाम 4 बजे इसकी औपचारिक रूप से घोषणा कर दी गयी है। औपचारिक घोषणा केंद्रीय मंत्रियों प्रकाश जावडेकर और डॉ रमेश पोखरियाल निंशक ने संयुक्त रूप से की। घोषणा के दौरान केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता आज कैबिनेट की बैठक में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दी गयी है। वहीं, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निंशक ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने के लिए विश्व की सबसे बड़ी परामर्श प्रक्रिया आयोजित की गयी थी। उन्होंने कहा कि मै देश के 1000 से अधिक विश्वविद्यालयों, 1 करोड़ से अधिक शिक्षकों और 33 करोड़ छात्र-छात्रों को शुभकामनाएं देता हूं। पत्र सूचना कार्यालय द्वारा आयोजित ब्रीफिंग कार्यक्रम में मंत्रियों के अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा एवं विद्यालयी शिक्षा सचिव और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: पहले चलाई गयी थी परामर्श प्रक्रिया
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर पहले परामर्श प्रक्रिया चलाई गयी थीजो कि 26 जनवरी 2019 से 31 अक्टूबर 2019 तक चली थी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: उच्च शिक्षा में ये सुधार
उच्च शिक्षा में अब मल्टीपल इंट्री और एग्जिट का विकल्प दिया जाएगा। पांच साल के इंटीग्रेटेड कोर्स करने वालों को एमफिल नहीं करना होगा। अब कॉलेजों के एक्रेडिटेशन के आधार पर ऑटोनॉमी दी जाएगी। मेंटरिंग के लिए राष्ट्रीय मिशन चलाया जाएगा। हायर एजुकेशन के लिए एक ही रेग्यूलेटर रहेगा। अभी यूजीसी, एआईसीटीई शामिल हैं। हालांकि इसमें लीगल एवं मेडिकल एजुकेशन को शामिल नहीं किया जाएगा। सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों को लिए शिक्षा मानक समान रहेंगे। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना होगी जिससे रिसर्च और इन्नोवेशन को बढ़वा मिलेगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। शिक्षा (टीचिंग, लर्निंग और एसेसमेंट) में तकनीकी को बढ़वा दिया जाएगा। तकनीकी के माध्यम से दिव्यांगजनों में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। ई-कोर्सेस आठ प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किया जाएंगे। नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) की स्थापना की जाएगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: विद्यालय शिक्षा में ये सुधार
अर्ली चाइल्डहुड केयर एवं एजुकेशन के लिए कैरिकुलम एनसीईआरटी द्वारा तैयार होगा। इसमें 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए विकसित किया जाएगा। बुनियाद शिक्षा (6 से 9 वर्ष के लिए) के लिए फाउंडेशनल लिट्रेसी एवं न्यूमेरेसी पर नेशनल मिशन शुरु किया जाएगा।
पढ़ाई की रुपरेखा 5+3+3+4 के आधार पर तैयारी की जाएगी। इसमें अंतिम 4 वर्ष 9वीं से 12वीं शामिल हैं। नये कौशल (जैसे कोडिंग) का शुरु किया जाएगा। एक्सट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज को मेन कैरिकुलम में शामिल किया जाएगा।
गिफ्टेड चिल्ड्रेन एवं गर्ल चाइल्ड के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। कक्षा 6 के बाद से ही वोकेशनल को जोड़ जाएगा। नई नेशनल क्यूरिकुलम फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा जिसमें ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा। बोर्ड एग्जाम को भाग में बाटा जाएगा।
बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा। वर्ष 2030 को हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाएगी। विद्यालयी शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास कम से कम लाइफ स्किल होगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा।
इससे पहले, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट 2019 में ही तैयार कर लिया गया था, जिसकी मंजूरी आज, 29 जुलाई 2020 को दी गयी है।
बता दें कि इससे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी और 1992 में संशोधित की गई थी। पिछली नीति तैयार होने में तीन दशक से अधिक समय बीत चुका है।
बदलावों को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति की आवश्यकता है। सरकार शिक्षा प्रणाली की अधिकता की योजना बना रही है और आज कैबिनेट बैठक में ड्राफ्ट राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा की जाएगी। एनईपी का मसौदा सरकार ने 2019 में पेश किया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में शिक्षा नीति की घोषणा की।
बता दें कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने पहले कहा था कि नई शिक्षा नीति शिक्षा क्षेत्र में कई मुद्दों का समाधान करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि नई नीति से युवाओं के लिए उच्च शिक्षा लेना आसान हो जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 1986 में अपनाया गया था और अंतिम बार इसे 1992 में संशोधित किया गया था। मई 2019 में, मोदी सरकार ने मसौदा एनईपी प्रस्तुत किया जो 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है।
दस्तावेज के अनुसार ड्राफ्ट एनईपी 2020 फंडामेंटल पिलर एक्सेस, सामर्थ्य, इक्विटी, गुणवत्ता और जवाबदेही पर आधारित है।
नई नीति बदलते विश्व परिवेश और इसके साथ छात्रों को अपडेट रखने की आवश्यकता पर भी ध्यान देती है। युवा उन तकनीकों का उपयोग करेंगे जो अब तक आविष्कार नहीं की गई हैं और वर्तमान में मौजूद नौकरियों में प्रवेश नहीं करती हैं।
नई शिक्षा नीति: स्कूली शिक्षा में पूरी तरह से खत्म होगा 10+2 ?, जानें 5+3+3+4 फॉर्मेट की नई शिक्षा व्यवस्था
आपको बता दें कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया है।यदि अब आप सोच रहे हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है? तो यह समझ लें कि यह सच है। दरअसल, केंद्र सरकार ने स्कूली शिक्षा मतलब कि प्री-नर्सरी से लेकर 12वीं तक में बड़ा बदलाव किया है।
इसके तहत सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को कुल चार हिस्से में बांट दिया है। इन चार हिस्सों को 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है।
इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल (प्री-नर्सरी, नर्सरी, एलकेजी) और कक्षा 1 और कक्षा 2 शामिल होंगे। इसे फाउंडेशन स्टेज कहा जाएगा। फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की पढ़ाई होगी।
इसके बाद में अगले तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12)।
इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं।
जानें नई शिक्षा नीति से जुड़ी अहम बातें-
– मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया गया है।
– केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एमफिल पाठ्यक्रमों को बंद किया जाएगा
– बोर्ड परीक्षाओं के लिए कई प्रस्ताव नई एजुकेशन पॉलिसी में है। बोर्ड परीक्षाओं के महत्व के कम किया जाएगा। इसमें वास्तविक ज्ञान की परख की जाएगी। 5 कक्षा तक मातृभाषा को निर्देशों का माध्यम बनाया जाएगा। रिपोर्ट कार्ड में सब चीजों की जानकारी होगी।
– अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं। नई एजुकेशन पॉलिसी के तहते सभी के लिए नियम समान होगा।
– देश में 45,000 कॉलेज हैं। ग्रेडेड अटॉनमी के तहत कॉलेजों को एडमिनिस्ट्रेटिव, अकैडमिक और फाइनैंशल अटॉनमी दी जाएगी।
नई शिक्षा नीति में शिक्षा का अधिकार (Right to Eductaion) कानून के दायरे को व्यापक बनाया गया है। अब 3 साल से 18 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंदर लाया जाएगा।
1. नई शिक्षा नीति में शिक्षा का अधिकार (Right to Eductaion) कानून के दायरे को व्यापक बनाया गया है। अब 3 साल से 18 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंदर लाया
जाएगा।
2. अब कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इन्हें सहायक पाठ्यक्रम (co-curricular) या अतिरिक्त पाठ्यक्रम ( extra- curricular) नहीं कहा जाएगा।
3. नई शिक्षा नीति बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल (life skills) और जरूरी क्षमताओं को विकसित किए जाने पर जोर देती है।
4. नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शैक्षणिक संस्थानों (High Education Institutions) में विश्वस्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई (High Quality Teaching) पर जोर दिया गया है। अब हाइयर एजुकेशन में वर्ल्ड क्लास रिसर्च पर फोकस किया जाएगा।
5. अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम का ढांचा भी बदला जाएगा। अब कोर्स के दौरान कई कक्षा से निकलने या प्रवेश करने के कई विकल्प दिए जाएंगे।
6. पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धतियों को शामिल करने, ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश की गई है।
7. आयोग ने शिक्षकों के प्रशिक्षण में व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की है।
8. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 को भारतीय लोगों, उनकी परम्पराओं,संस्कृतियों और भाषाओँ की विविधता को ध्यान में रखते हुए तेज़ी से बदलते समाज की ज़रूरतों के आधार पर तैयार किया गया है।
9. शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए उच्च गुणवत्ता और व्यापक शिक्षा तक सबकी पहुँच सुनिश्चित की गई है। इसके ज़रिए भारत का निरंतर विकास सुनिश्चित होगा साथ ही वैश्विक मंचों पर – आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, समानता और पर्यावरण की देख – रेख, वैज्ञानिक उन्नति और सांस्कृतिक संरक्षण के नेतृत्व का समर्थन करेगा।
10. इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है।
New Education Policy 2020 is announced
(Still Under Approval)
1. 10+2 board structure is dropped
2. New school structure will be 5+3+3+4
3. Upto 5 pre school, 6 to 8 Mid School, 8 to 11 High School , 12 onwards Graduation
4. Any Degree will be 4 years
5. 6th std onwards vocational courses available
6. From 8th to 11 students can choose subjects
7. All graduation course will have major and minor
Example – science student can have Physics as Major and Music as minor also. Any combination he can choose
8. All higher education will be governed by only one authority.
9. UGC AICTE will be merged.
10. All University government, private, Open, Deemed, Vocational etc will have same grading and other rules.
11. New Teacher Training board will be setup for all kinds of teachers in country, no state can change
12. Same level of Accreditation to any collage , based on its rating collage will get autonomous rights and funds.
13. New Basic learning program will be created by government for parents to teach children upto 3 years in home and for pre school 3 to 6
14. Multiple entry and exit from any course
15. Credit system for graduation for each year student will get some credits which he can utilize if he takes break in course and come back again to complete course
16. All schools exams will be semester wise twise a year
17. The syllabus will be reduced to core knowledge of any subject only
18. More focus on student practical and application knowledge
19. For any graduation course if student complete only one year he will get a basic certificate, if he complete two years then he will get Diploma certificate and if he complete full course then he will get degree certificate. So no year of any student will ve vested if he break the course in between.
20.All the graduation course feed of all Universities will be govern by single authority with capping on each course.
Now we can hope our education system will be at par with modern countries and future of our children will be bright.
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COUNTRY GETS NEW EDUCATION POLICY AFTER WAITING OF 34 YEARS, MHRD IS RENAMED AS MINISTRY OF EDUCATION
The Union Cabinet approved the National Education Policy 2020 on Wednesday. Below are some of the key features of the new policy:
* This is the first education policy of the 21st century and replaces the thirty-four-year-old National Policy on Education (NPE), 1986.
* The new policy aims for universalisation of education from pre-school to secondary level with 100 per cent Gross Enrolment Ratio (GER) in school education by 2030 and aims to raise GER in higher education to 50 per cent by 2025.
* NEP 2020 will bring two crore out of school children back into the main stream.
* The 10+2 structure of school curricula is to be replaced by a 5+3+3+4 curricular structure corresponding to ages 3-8, 8-11, 11-14, and 14-18 years respectively. It will include 12 years of schooling and three years of Anganwadi and pre-schooling.
* NCERT will develop a National Curricular and Pedagogical Framework for Early Childhood Care and Education (NCPFECCE) for children up to the age of eight.
* NEP 2020 calls for setting up of a National Mission on Foundational Literacy and Numeracy by the Education Ministry. States will prepare an implementation plan for attaining universal foundational literacy and numeracy in all primary schools for all learners by grade 3 by 2025.
* A National Book Promotion Policy is to be formulated.
* All students will take school examinations in Grades 3, 5, and 8 which will be conducted by the appropriate authority. Board exams for Grades 10 and 12 will be continued, but redesigned with holistic development as the aim.
* A new National Assessment Centre, PARAKH (Performance Assessment, Review, and Analysis of Knowledge for Holistic Development), will be set up as a standard-setting body.
* NEP emphasises on setting up of Gender Inclusion Fund and also Special Education Zones for disadvantaged regions and groups.
* Every state/district will be encouraged to establish ‘Bal Bhavans’ as a special daytime boarding school, to participate in art-related, career-related, and play-related activities. Free school infrastructure can be used as Samajik Chetna Kendras.
* A common National Professional Standards for Teachers (NPST) will be developed by the National Council for Teacher Education by 2022, in consultation with NCERT, SCERTs, teachers and expert organizations from across levels and regions.
* States/UTs will set up independent State School Standards Authority (SSSA). The SCERT will develop a School Quality Assessment and Accreditation Framework (SQAAF) through consultations with all stakeholders.
* NEP 2020 aims to increase the Gross Enrolment Ratio in higher education including vocational education from 26.3 per cent in 2018 to 50 per cent by 2035 and aims to add 3.5 crore new seats to higher education institutions.
* The policy envisages broad-based, multi-disciplinary, holistic Under Graduate education with flexible curricula, creative combinations of subjects, integration of vocational education and multiple entry and exit points with appropriate certification.
* An Academic Bank of Credit is to be established for digitally storing academic credits earned from different HEIs so that these can be transferred and counted towards final degree earned.
* Multidisciplinary Education and Research Universities (MERUs), at par with IITs, IIMs, to be set up as models of best multidisciplinary education of global standards in the country.
* The National Research Foundation will be created as an apex body for fostering a strong research culture and building research capacity across higher education.
* Higher Education Commission of India(HECI) will be set up as a single overarching umbrella body for entire higher education, excluding medical and legal education.
* Public and private higher education institutions will be governed by the same set of norms for regulation, accreditation and academic standards.
* Affiliation of colleges is to be phased out in 15 years and a stage-wise mechanism is to be established for granting graded autonomy to colleges.
* A new and comprehensive National Curriculum Framework for Teacher Education, NCFTE 2021, will be formulated by the NCTE in consultation with NCERT.
* By 2030, the minimum degree qualification for teaching will be a 4-year integrated B.Ed. degree.
* Stringent action will be taken against substandard stand-alone Teacher Education Institutions (TEIs).
* A National Mission for Mentoring will be established, with a large pool of outstanding senior/retired faculty who would be willing to provide short and long-term mentoring/professional support to university/college teachers.
* The National Scholarship Portal will be expanded to track the progress of students receiving scholarships.
* Private HEIs will be encouraged to offer larger numbers of free ships and scholarships to their students.
* Measures such as online courses and digital repositories, funding for research, improved student services, credit-based recognition of MOOCs, etc., will be taken to ensure distance learning is at par with the highest quality in-class programmes.
* A comprehensive set of recommendations for promoting online education consequent to the recent rise in epidemics and pandemics in order to ensure preparedness with alternative modes of quality education whenever and wherever traditional modes of education are not possible, has been covered.
* A dedicated unit for the purpose of orchestrating the building of digital infrastructure, digital content and capacity building will be created in the HRD ministry to look after the e-education needs of both school and higher education.
* An autonomous body, the National Educational Technology Forum (NETF), will be created to provide a platform for the free exchange of ideas on the use of technology to enhance learning, assessment, planning, administration.
* NEP recommends setting an Indian Institute of Translation and Interpretation (IITI), National Institute (or Institutes) for Pali, Persian and Prakrit, strengthening of Sanskrit and all language departments in HEIs, and use mother tongue/local language as a medium of instruction in more HEI programmes.
* Internationalisation of education will be facilitated through both institutional collaborations, and student and faculty mobility and allowing entry of top world ranked universities to open campuses in India.
* Stand-alone technical universities, health science universities, legal and agricultural universities etc will aim to become multi-disciplinary institutions.
* Policy aims to achieve 100% youth and adult literacy.
* The Centre and the States will work together to increase the public investment in Education sector to reach 6 per cent of GDP at the earliest.
SOURCE PTI: